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आंध्र प्रदेश में मंदिरों पर हमले के मामलों को एक नया मोड़ देते हुए आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डी जी सवांग ने शुक्रवार को कहा कि इन घटनाओं और झूठ फैलाने के आरोपियों में तेदेपा और भाजपा के 20 से अधिक कार्यकर्ता शामिल हैं। डीजीपी के इस कथन के बाद इन दोनों ही विपक्षी दलों ने उन पर सत्तारूढ़ वाई एस आर कांग्रेस के प्रवक्ता की भांति बर्ताव करने का आरोप लगाया है। 

मंदिरों पर हमलों के लिए खजाना लूटने वालों, अंधविश्वास में यकीन करने वालों एवं अन्य को जिम्मेदार ठहराने के दो दिन बाद डीजीपी ने कहा कि इन दलों के 15 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है, जो मंदिरों में कथित तोड़फोड़ की घटनाओं के संबंध में झूठ फैलाने में शामिल थे।

तेदेपा और भाजपा ने इस नवीनतम दावे को लेकर डीजीपी की कड़ी आलोचना की और कहा कि सवांग को अपनी खाकी वर्दी छोड़कर वाईएसआर कांग्रेस का चोला पहन लेना चाहिए। प्रदेश तेदेपा अध्यक्ष के अच्ननायडू ने ट्वीट किया, आप राज्य के डीजीपी के बजाय वाईएसआरसी प्रवक्ता के रूप में बिल्कुल फिट नजर आयेंगे।

प्रदेश भाजपा महासचिव एस विष्णुवर्द्धन रेड्डी ने डीजीपी के दावे को लोगों को गुमराह करने और पुलिस के लचर रवैये पर पर्दा डालने के लिए की गयी नयी राजनीतिक नौटंकी करार दिया। डीजीपी ने 13 जनवरी को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि (मंदिरों में हमले के) ज्यादातर अपराधों को खजाना चुराने वालों, अंधविश्वास में विश्वास करने वालों, नशा करने वालों एवं अन्य ने अंजाम दिया।

उन्होंने हाल के महीनों में मंदिरों पर हमले के 44 बड़े मामलों के पीछे किसी भी साजिश या ‘राजनीतिक गुरिल्ला लड़ाई’ के बारे में कुछ नहीं कहा। हालांकि, मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने इन हमलों को कल्याणकारी एजेंडा को बाधित करने के लिए उनकी सरकार के खिलाफ ‘साजिश एवं राजनीतिक गुरिल्ला लड़ाई करार दिया था।

सवांग ने शुक्रवार को आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में नौ ऐसे मामले गिनाये जिनमें उनके अनुसार, तेदेपा और भाजपा के 15 कार्यकर्ता या समर्थक मंदिरों पर हमले के बारे में झूठा प्रचार करने के लिए गिरफ्तार किये गये जबकि छह फरार चल रहे हैं। 

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