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कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई कमेटी पर उठे सवालों के बीच कमेटी के सदस्य अनिल घनवत का बयान सामने आया है। अनिल घनवत ने कहा है कि ये आंदोलन कहीं रूकना चाहिए और किसानों के हित में एक कानून बनना चाहिए। कानूनों को रद्द करने की बजाए उनमें संशोधन होना चाहिए। आंदोलनकारी किसान नेताओं को कमेटी के साथ कार्य करके अपनी बात रखनी चाहिए। अनिल घनवत ने कहा है कि पहले किसानों का कहना सुनना पड़ेगा, अगर उनकी कोई गलतफहमी है तो वो दूर करेंगे। किसानों को विश्वास दिलाना पड़ेगा कि MSP और APMC रहेगा।
उन्होंने आगे कहा कि जो कुछ भी होगा वो पूरे देश के किसानों के हित में होगा। उन्होंने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस हमारे पास नहीं आ जाती हैं तब तक हम काम शुरू नहीं कर सकते हैं। गाइडलाइंस आने के बाद हम सब किसान नेताओं से मिलकर उनकी राय जानेंगे कि उनको क्या चाहिए और वो कैसे किया जा सकता है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे रहे किसान संगठनों के बीच व्याप्त गतिरोध खत्म करने के इरादे से मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिए चार सदस्यीय समिति गठित कर दी।
कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद समिति के लिए भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक (दक्षिण एशिया) डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी के नामों की घोषणा की।
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