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कृषि विशेषज्ञ व मैग्सेसे पुरस्कार विजेता पी. साईनाथ ने कहा कि भारतीय संविधान के तहत कृषि राज्य का विषय है और केंद्र द्वारा तीन कृषि कानून बनाना नाजायज व असंवैधानिक है। इससे मौजूदा कृषि संकट और गहरा होगा। इन कानूनों को रद्द किया जाना चाहिए। सरकार आग से खेल रही है। ग्रामीण मामलों के जानकार साईनाथ ने कहा कि कृषि उत्पाद बाजार समिति, कृषि के लिए लगभग वही है जो सरकारी स्कूल शिक्षा के क्षेत्र के लिए है या फिर जो सरकारी अस्पताल स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए है। कृषि कानूनों में नीतिगत सुधार निश्चित तौर पर किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए, न कि निजी कंपनियों के हित में। 

बिहार के पटना स्थित स्थानीय होटल में ‘श्री साईनाथ शनिवार को कृषि बाजार कानूनों को लेकर किसानों के अप्रत्याशित जुटान पर चर्चा’ कार्यक्रम को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस संवाद का आयोजन नेशन फॉर फॉर्मर, बिहार महिला समाज और तत्पर फाउंडेशन द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिये सरकार एपीएमसी मंडियां और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म करना चाह रही है। इसके बाद किसानों को ट्रेडर्स और बड़े कॉरपोरेट के रहम पर जीना पड़ेगा। ये कानून किसानों को कोई कानूनी सुरक्षा नहीं प्रदान करते हैं। किसान संगठन अपनी इस मांग को लेकर प्रतिबद्ध हैं कि सरकार को हर हाल में इन कानूनों को वापस लेना होगा। इस संबंध में सरकार और किसानों के बीच बातचीत के कई दौर चले, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है। 

नेशन फॉर फॉर्मर के डॉ. गोपाल कृष्ण ने निरस्त किए गए कृषि कानूनों को फिर से बहाल करने पर जोर दिया। निवेदिता झा ने महिला किसानों के हकों पर जोर दिया, जबकि डॉ. अनामिका प्रियदर्शिनी ने कहा कि नए कानूनों में महिला किसानों के हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए। चर्चा के दौरान वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों ‘किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक- 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक- 2020’ के खिलाफ पिछले 50 से अधिक दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड करने का ऐलान किया है। कोरोना महामारी के दौरान इन कानूनों को पारित करने का केंद्र का फैसला सवालों के घेरे में है। किसानों को इस बात का भय है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है। चर्चा में अमित कुमार, विभिन्न संगठनों के प्रमुख व्यक्ति शामिल हुए। 

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