[ad_1]

डाकिया को देखते ही चेहरे फिर खिलने लगे। अब वजह चिट्ठियां नहीं बल्कि नकदी है जिसका भुगतान बिना बैंक-डाकखाने की लाइन में लगे ग्रामीणों को मिलने लगा है। कोरोना काल में चिट्ठियों की बजाय डाकियों ने…

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here