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कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन लगने का दौर शुरू हो गया है। ऐसे में बरेलवी मसलक से जुड़े उलेमा से देश भर के मुसलमान वैक्सीन हलाल या हराम, इस पर सवाल पूछ रहे हैं। सवालों के जवाब में उलेमा ने साफ तौर पर कहा कि शरीयत, कुरआन में हराज जैसी चीज को एक ही शर्त पर जायज करार दिया है, जब वो दवा के रूप में हो। ऐसी दवा जिसका दूसरा विकल्प न हो और जान बचाने के लिए उस दवा का सेवन करना पड़े तो वो जायज हो जाता है।

सुन्नी उलमा कौंसिल के अध्यक्ष और इस्लामी स्कॉलर मौलाना इंतजार अहमद कादरी ने बताया कि लोग पूछ रहे हैं कि वैक्सीन लगाना जायज है या हराम। इस पर दारुल इफ्ता के उलेमा से भी राफता किया गया है। जवाब आया है कि जान बचाने के लिए अगर कोई दूसरा विकल्प न हो तो ऐसी सूरत में उसको दवा के रूप में लिया जा सकता है। हलाल, हराम जैसी चीजों को कुरआन ने पहले ही तय कर दिया है।

शर्त यह है कि अगर कोई जानलेवा बीमारी फैली हो और उसकी दवा दूसरी न हो तो, जो दवा मौजूदा वक्त में है और उसे लेना जरूरी है तो वो ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि 15 दिनों में देश भर से करीब 200 से ज्यादा लोगों ने संपर्क करके वैक्सीन के बारे में जानकारी ली है। मुफ्ती गुलाम मुस्तफा रजवी ने कहा कि वैक्सीन को किस तरह से बनाया गया है, यह आगे का विषय है। इस पर उलेमा-ए-दीन तहकीकात कर रहे हैं। जैसे ही यह मालूम हो जाएगा कि वैक्सीन में ऐसी कोई चीज इस्तेमाल नहीं की गई है, जिसकी इस्लाम में इजाजत नहीं है। उसके बाद ही उलेमा अपना फैसला शरीयत की रोशनी में देंगे।

इंडोनेशिया के उलेमा ने हलाल सर्टिफिकेट जारी करने को कहा
मुफ्ती तबारक करीम ने कहा कि इंडोनेशिया में मौलवियों की एक शीर्ष संस्था इंडोनेशियन उलेमा काउंसिल ने कोरोना की इस वैक्सीन के लिए हलाल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए कहा है। वहां वैक्सीन को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है।

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