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भारतीय तेज गेंदबाज शार्दुल ठाकुर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिसबेन में जारी चौथे टेस्ट की पहली पारी में जब बल्लेबाजी के लिए उतरे तब टीम छह विकेट पर 186 रन बनाकर संघर्ष कर रही थी, ऐसे में उनके दिमाग में कोच रवि शास्त्री की वह बात थी जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर आप इस देश में प्रदर्शन करते हैं तो दर्शकों से काफी सम्मान मिलेगा। शार्दुल ने रविवार को मैच के तीसरे दिन आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 67 रन बनाने के साथ वॉशिंगटन सुंदर (62) के साथ सातवें विकेट के लिए 123 रन की साझेदारी कर भारत को बेहतर स्थिति में पहुंचाया। उन्होंने अपनी पारी में कुछ दर्शनीय शॉट भी लगाए।

ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में 369 रन के जवाब में भारत की पहली पारी 336 रन पर सिमटी। दिन का खेल खत्म होने तक ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी में बिना किसी नुकसान के 21 रन बना लिए जिससे उसकी बढ़त 54 रन की हो गई। शार्दुल ने मैच के बाद वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब मैं मैदान में गया, तो स्थिति कठिन थी और मैं इससे इनकार नहीं करूंगा। दर्शक ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों की हौसला अफजाई कर रहे थे। लेकिन मुझे हमारे कोच रवि शास्त्री की वनडे सीरीज से पहले की गई बातें याद थीं। उन्होंने कहा था कि अगर आप इस देश में प्रदर्शन करते हैं, तो आपको (दर्शकों का) सम्मान मिलेगा।

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इस तेज गेंदबाज ने कहा कि कोच ने कहा था लोग आपके प्रदर्शन के कारण आप से प्यार करेंगे और मेरे दिमाग में सिर्फ एक बात थी मुझे दर्शकों का सम्मान मिले। शार्दुल ने कहा कि दिन के खेल के बाद यह मेरी टीम के लिए मददगार होगा, मेरे लिए यही सबसे बड़ी सकारात्मक बात है। मेरे दिमाग में दो ही चीजें थीं। दर्शक शोर मचाएंगे, लेकिन अगर मैं अच्छी बल्लेबाजी करूंगा तो वे मेरी तारीफ भी करेंगे। दर्शकों के साथ भारतीय ड्रेसिंग रूम ने भी आउट होने के बाद खड़े होकर उनका अभिवादन किया। शार्दुल ने कहा कि उन्हें बल्लेबाजी करना पसंद है और वह मौके का इंतजार कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि मैं बल्लेबाजी करने में सक्षम हूं। टीम में जब भी थ्रो-डाउन स्पेशलिस्ट के पास समय होता है तब मैं प्रैक्टिस करता हूं। ये ऐसे पल हैं जिसके लिए आप कड़ी मेहनत करते हैं। इसका इंतजार करते है कि टीम के लिए कुछ कर सकें। बल्लेबाजी के समय बस यही विचार था कि क्रीज पर अधिक से अधिक समय बिताऊं ताकि रन बने और पहली पारी में रनों के अंतर को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि ‘ए’ टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया का दौरा करने से उन्हें काफी फायदा हुआ।

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उन्होंने कहा कि ‘ए’ टीम का दौरा दूसरी पंक्ति की टीम के लिए होता है। इससे काफी मदद मिली। हम 2016 में यहां आए थे। जब आप उस टीम में खेलते हैं तो नेशनल टीम में आने के बाद परिस्थितियां ज्यादा मुश्किल नहीं होती हैं। सुंदर के साथ साझेदारी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमने साथ में ज्यादा बल्लेबाजी नहीं की है। एक बार टी-20 मैच में और एक बार प्रैक्टिस मैच में ही साथ खेले हैं। दोनों के पास इस स्तर पर सफल होने की मानसिकता है। ईमानदारी से कहूं तो हम स्कोर बोर्ड की तरफ नहीं देख रहे थे। वहां हमारी कोशिश समय बिताने की थी। उन्होंने कहा कि हमें पता था कि थोड़ी देर के बाद उनके गेंदबाज थकने लगेंगे और फिर हमारे पास रन बनाने का मौका होगा। हम एक दूसरे से अच्छे से बात कर रहे थे।

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