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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। वहीं, सोशल मीडिया नेटवर्क्स ने युवाओं के कट्टरता और भर्ती में योगदान दिया है। विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का आह्रान करना चाहिए। लड़ाई में कोई इफ एंड बट नहीं होना चाहिए। न ही हमें आतंकवाद को उचित ठहराना चाहिए और आतंकवादियों को महिमामंडित करना चाहिए। सभी सदस्यों को आतंकवाद के खिलाफ अपने दायित्वों को पूरा करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ”हाल के वर्षों में, आतंकवादी समूहों और लोन-वुल्फ हमलावरों ने ड्रोन, आभासी मुद्राओं और एन्क्रिप्टेड संचार सहित उभरती टेक्नोलॉजी तक पहुंच प्राप्त करके अपनी क्षमताओं को बढ़ाया है।” उन्होंने कहा कि आतंकवाद और देशों में संगठित अपराध के बीच जुड़ाव की पहचान की जानी चाहिए और दृढ़ता से इसका समाधान किया जाना चाहिए। 

विदेश मंत्री ने बैठक के दौरान कहा कि हमने 1993 के मुंबई धमाके के लिए जिम्मेदार आपराधिक गिरोहों को राज्य का संरक्षण ही नहीं बल्कि पांच सितारा सुविधाएं मिलते हुए भी देखा है। जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी के तहत लोगों और संगठनों के नाम सूची में शामिल करने और बाहर करने का काम निष्पक्षता के साथ होना चाहिए।

यूएनएससी ओपन डिबेट में जयशंकर ने कहा कि हमारी यह लड़ाई दोयम दर्जे की नहीं होनी चाहिए। आतंकवादी आतंकवादी हैं। इसमें अच्छा और बुरा नहीं होता है। जो इसका प्रचार करते हैं, उनका एक एजेंडा है और जो लोग इसे कवर करते हैं, वे भी अपराधी हैं।



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