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तालिबान ने पूर्व सरकार द्वारा राष्ट्रीय शहीद घोषित किए गए हजारा नेता की प्रतिमा को कुरान की प्रतिकृति के साथ बदल दिया है। इसके बाद बामियान के लोगों ने गुरुवार को हिंसा शुरू होने की चेतावनी दी है। आपको बता दें कि मूल प्रतिमा में अब्दुल अली मजारी को दर्शाया गया है, जो कि ज्यादातर शिया अल्पसंख्यकों के नेता थे। तालाबिन ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्हें कैदी बनाया था। 

अगस्त में तालिबान के सत्ता में लौटने के तुरंत बाद रॉकेट हमले में मूर्ति को तोड़ दिया गया था। मध्य अफगानिस्तान के लोगों ने कट्टरपंथी इस्लामवादियों को इसके लिए दोषी ठहराया था।

तालिबान की इस्लाम की सख्त व्याख्या चित्रों और मूर्तिकला में मानव रूप को चित्रित करने से मना करती है। कई व्यवसायों ने समूह के अधिग्रहण के बाद से लोगों को दर्शाने वाले होर्डिंग और पोस्टर हटा दिए हैं या ढक दिए हैं। बामियान में एक नागरिक समाज कार्यकर्ता अब्दुल दानिशयार ने कहा, “कल, उन्होंने मूर्ति को पूरी तरह से हटा दिया और इसे कुरान की प्रतिकृति के साथ बदल दिया।”

उन्होंने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, “वे बामियान को इतिहास से मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। लोग इस पर हिंसक प्रतिक्रिया देने जा रहे हैं।”

मजारी की मूर्ति बामियान के केंद्रीय चौक में खड़ी थी, जहां तालिबान ने 2001 में 1,500 साल पुरानी बुद्ध की दो विशाल मूर्तियों को उड़ा दिया था। 

दानिशयार ने कहा कि मजारी के नाम पर बने चौक का नाम बदलकर “सैन्य सड़क” कर दिया गया है। बामियान प्रांतीय परिषद के सदस्य अब्दुल अली शफाक ने एएफपी को बताया कि वह तालिबान के अधिकारियों से बात करेंगे और उनसे इस कदम को वापस लेने का आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा, “यह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, इससे प्रतिक्रिया हो सकती है।”

उन्होंने कहा, “बामियान में लोग मजारी से प्यार करते हैं। वे आंशिक रूप से नष्ट हुई एक को बदलने के लिए एक नई मूर्ति बना रहे थे।”

तालिबान विरोधी मिलिशिया नेता मजारी को 1995 में तालिबान द्वारा बंदी बनाए जाने के बाद मार दिया गया था। 

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