[ad_1]

आयकर विभाग ने करदाताओं की सहूलियत के लिए इस साल आयकर रिटर्न फॉर्म में कई कॉलम पहले से भर कर दे रहा है। ऐसे में अगर आप अपना आयकर रिटर्न भरने की तैयारी में हैं तो आपको टीडीएस, वेतन का ब्योरा आदि की जानकारी भरा हुआ मिलेगा। हालांकि, इसके बावजूद कई जानकारी आपको खुद से भरनी होगी।

आयकर विभाग के मुताबिक, करदाता को पूंजीगत लाभ, लाभांश और ब्याज से हुई आय की जानकारी इस साल खुद से भरनी होगी। इसके लिए एक पॉप-अप पेज खलेगा। उसमें करदाता को इन मद से प्राप्त आय की जानकारी देनी होगी। अगर, करदाता को पहले से भरे कॉलम में लगता है कि दी गई जानकारी गलत है तो वह उसे सुधार करने के लिए संबंधित विभाग को कह सकता है।

यह भी पढ़ें: Petrol Diesel Price Today: डीजल के दाम हुए कम, चेक करें अपने शहर में आज पेट्रोल के नए रेट

अगर करदाता को लगता है कि ब्याज आय की जो जानकारी फॉर्म में भरी गई है वह गलत है तो बैंक से इस संदर्भ में सूचित कर सकता है। बैंक फिर से गणना कर जानकारी उपलब्ध कराएगा। इसके बाद वह फॉर्म में सुधार कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पहले से भरी गई जानकारी से करदाताओं को आईटीआर दाखिल करने में मदद मिलेगी, लेकिन करदाताओं को अभी भी आईटीआर दाखिल करने से पहले जानकारी को सत्यापित करना होगा।

बैंक, फंड हाउस को जानकारी देने की जिम्मेदारी

सीबीडीटी के अनुसार, सभी करदाताओं से जुड़ी इन जानकारियों को आयकर विभाग तक पहुंचाने की जिम्मेदारी बैंकों, डाकघर, म्यूचुअल फंड हाउस, रजिस्ट्रार, बॉन्ड जारी करने वाली कंपनियों व अन्य वित्तीय संस्थानों पर है। इन संस्थानों को एक वित्तवर्ष में निश्चित सीमा से अधिक लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग को देनी होगी। ये लेनदेन आयकर की धारा 114ई के तहत एसएफटी में आते हैं। इसका मतलब हुआ कि अगर किसी निवेशक ने फंड बेचकर लाभ कमाया है, तो फंड हाउस उसके खाते की जानकारी आयकर विभाग तक पहुंचाएंगे। बैंक या डाकघर की बचत योजनाओं अथवा खाते पर मिले ब्याज की जानकारियां भी आयकर विभाग तक पहुंच जाएंगी।

अभी 16 तरह के लेनदेन पर नजर

आयकर विभाग अभी करदाताओं की ओर से किसी वित्तवर्ष में 16 तरह के बड़े लेनदेन पर नजर रखता है। विभाग इसके तहत बचत खाते में एक साल में 10 लाख से ज्यादा की नकदी जमा करने, शेयर खरीदने, एनसीडी या म्यूचुअल फंड में निवेश करने अथवा शेयर बायबैक की जानकारियां जुटाता है। इसके अलावा किसी साल में नकद राशि से 1 लाख रुपये से ज्यादा का क्रेडिट कार्ड बिल चुकाने और पूरे वित्तवर्ष में किसी भी मोड से 10 लाख का बिल भरने की जानकारी भी आयकर विभाग जुटाता है।

कई नौकरी बदली है तो कई फॉर्म-16 होंगे

अगर आपने कई नौकरी बदली है तो आपके पास कई फॉर्म-16 हो सकते हैं। चूंकि अलग-अलग फॉर्म-16 हैं तो उनके पार्ट ए में अलग-अलग कंपनियों के टैन और उसके आधार पर काटे गए टीडीएस का हिसाब होगा। हर कंपनी अपने हिसाब से टीडीएस काटती है। इसलिए अलग-अलग फॉर्म-16 में टीडीएस की कटौती अलग-अलग होगी। ऐसे में टीडीएस को जोड़ने का नियम है। यानी कि एक वित्तीय वर्ष में जिन-जिन कंपनियों ने टीडीएस काटा है, उन सभी टीडीएस को एकसाथ जोड़ दें. इससे ये पता चल जाएगा कि एक साल में कुल कितना टीडीएस कटा है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here