[ad_1]

फलाने छह महीने पहले सड़क के किनारे ठेला लगाते थे और आज देखिए 10 लाख की कार से चल रहे हैं। वह कभी दिल्ली नहीं देखा था, आज वह मुंबई, बेंगलुरू, कोलकाता, गोवा जैसे शहरों में सेमिनार कर रहा है। ऐसे बहुत सारे उदाहरणों के साथ आपके पास आपका कोई अपना ही आता है। सपनों के सौदागरों के जाल में फंस चुका आपका परिचित भी अब आपके पास सपनों का सौदा करने आता है । मल्टी लेवल मार्केटिंग या नेटवर्क मार्केटिंग के नाम पर वह आपको ऊंचे रिटर्न और आपके निवेश के नहीं डूबने की गारंटी देता है तो सावधान हो जाएं।

कॉरपोरेट ठगी का मॉडल

पोंजी स्कीम, पिरामिड स्कीम, मल्टी लेवल मार्केटिंग या नेटवर्क मार्केटिंग में केवल नाम का अंतर हो सकता है वरना यह एक तरह से सुनियोजित कॉरपोरेट ठगी का मॉडल है। इसमें पहले लोगों को पैसा लगाने का लुभावना ऑफर दिया जाता है। शुरुआती समय में उन्हें कुछ ब्याज या बोनस का भुगतान भी दिया जाता है। इसके बाद उन्हें एजेंट बनकर कमीशन से मोटी कमाई का लालच दिया जाता है। नए निवेशकों की राशि से पुरानों को कुछ समय तक भुगतान किया जाता है। लेकिन पुराने निवेशकों को भुगतान का बोझ बढ़ते ही सारी राशि लेकर भाग जाती है।

यह भी पढ़ें: पोंजी स्कीम:10 लाख लोगों से तीन अरब की धोखाधड़ी, दो रीजनल डायरेक्टर गिरफ्तार

पोंजी स्कीम से जुड़ी ज्यादातर कंपनियां सीधे-सादे निवेशकों को फंसाने के लिए पेंड़ और भेंड़-बकरी से जुड़े कारोबार में होने का दावा करती हैं। वहीं कुछ सोने के खनन से जुड़े होने की बात कहती हैं। सस्ते में बंजर जमीन खरीदकर उसमें पेंड़ लगाने से एक-दो या पांच साल में कमाई दोगुना नहीं हो जाती है। भेंड़-बकरी से जुड़े कारोबार का भी यही हाल है चाहें महंगे ऊन या मांस निर्यात की बात क्यों न हो। सोने के खनन में नामचीन कंपनियां शामिल हैं और उसमें भारी निवेश की जरूरत होती है।

12.5 फीसदी सालाना से अधिक ब्याज नहीं

रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक कोई भी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) जमा पर 12.5 फीसदी सालाना से अधिक ब्याज नहीं दे सकती है। ऐसे में कोई कंपनी आपको इससे ऊंचा रिटर्न देने का झांसा दे रही है तो सावधान हो जाने की जरूरत है। पोंजी स्कीम चलाने वाली कंपनियां सामान्यत: छोटी अवधि में 15 फीसदी से अधिक रिटर्न देने का वादा करती हैं। शुरुआत में वह राशि देतीं हैं और बाद में बड़ी राशि जमा होने पर रातों-रात गायब हो जाती हैं।

क्या है पोंजी स्कीम

इतालवी-अमेरिकी चार्ल्स पोंजी ने 1919 में अमेरिका के बोस्टन में निवेश योजना शुरू की थी। इसमें निवेशकों से वादा किया गया था कि सिर्फ 45 दिन में धन दोगुना हो जाएगा। हालांकि, इसके लिए कोई कारोबारी मॉडल नहीं था। स्कीम के तहत नए निवेशकों के धन से पुराने निवेशकों को भुगतान किया जाता था। जब नए निवेशकों का पैसा पुराने के लिए कम पड़ने लगा तब यह योजना धराशायी हो गई।

 

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here