[ad_1]

भारतीय वैज्ञानिक संभावित कोविड-19 के इलाज के लिए लहसुन के अर्क का अध्ययन कर रहे हैं। मोहाली के सेंटर ऑफ इनोवेटिव एंड अप्लाइड बायोप्रोसेसिंग और फरीदाबाद के रीजनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक लहसुन के तेल को एसीई2 प्रोटीन के संभावित अवरोधक के तौर पर इस्तेमाल करने पर शोध कर रहे हैं।

एसीई2 रिसेप्टर मानव कोशिकाओं में कोरोना वायरस के प्रवेश द्वार और वायरस के भीतर मौजूद अमीनो एसिड के रूप में कार्य करता है। जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, कोविड-19 वायरस धमनी या संचार प्रणाली को निशाना बनाता है। इसका एस प्रोटीन, जो क्राउन बनाता है, एसीई2 रिसेप्टर पर हमला करता है, जिससे कोशिका के माइटोकॉन्ड्रिया को नुकसान होता है, जो ऊर्जा पैदा करता है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, लहसुन के तेल की गुणात्मक संरचना और जैविक गतिविधि को लेकर विश्लेषण किया जा रहा है। यह अध्ययन कोविड-19 के इलाज में लहसुन के तेल के लाभों को उजागर करने में मदद कर सकता है। उन्होंने बताया कि लहसुन के तेल की विशेषता, इसके घटक, अपवर्तक सूचकांक, चिपचिपाहट और घनत्व आदि का अध्ययन किया गया था। कोविड-19 रोगियों के इलाज में लहसुन के तेल का उपयोग और खपत से संबंधित अध्ययन क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र के सहयोग से चल रहा है।

मोहाली के सेंटर ऑफ इनोवेटिव एंड अप्लाइड बायोप्रोसेसिंग की वैज्ञानिक सुचेता खुब्बर ने कहा कि लहसुन में मौजूद ऑर्गनोसल्फर और फ्लेवोनोइड यौगिक प्रतिरक्षा-बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा, दैनिक आहार में लहसुन और इससे बने उत्पादों के सेवन से रोग के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली मुख्य दवाओं के कारण दुष्प्रभाव और विषाक्तता कम हो सकती है।

वैज्ञानिक ने बताया, लहसुन के आवश्यक तेल में यौगिकों के सार्स-कोव-2 प्रतिरोध की जांच में पाया गया कि 17 ऑर्गोसल्फर यौगिकों, जो कि लहसुन के आवश्यक तेल की सामग्री का 99.4% है, का एसीई2 प्रोटीन के अमीनो एसिड और मुख्य प्रोटीज पीडीबी6एलयू7 के साथ मजबूत संयोजन है। परिणामों के अनुसार, लहसुन का तेल एक मूल्यवान प्राकृतिक एंटीवायरस स्रोत है, जो मानव शरीर में कोरोना वायरस के आक्रमण को रोकने में योगदान देता है। इसी तरह के अध्ययन ब्रिटेन और और चीन में भी किए जा रहे हैं।

आयुर्वेद चिकित्सकों का दावा 
– आयुर्वेद चिकित्सकों का दावा है कि लहसुन वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ एक कारगर प्राकृतिक एंटीबायोटिक में से एक है।
– उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक 
– लहसुन का उपयोग सामान्य सर्दी और इन्फ्लूएंजा के खिलाफ पारंपरिक दवा के नुस्खे में भी किया जाता है। 
– लहसुन के तेल में ऑर्गोसल्फर यौगिक होते हैं, जो मजबूत एंटीऑक्सिडेंट, जीवाणुरोधी, फंगलरोधी, कैंसररोधी और रोगाणुरोधी गुणों का प्रदर्शन करते हैं।
– 2006 के एक अध्ययन में पाया गया कि कच्चा लहसुन रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है, साथ ही एथेरोस्क्लेरोसिस के जोखिम को भी कम कर सकता है।
– नियमित लहसुन का सेवन ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद कर सकता है। 
– लहसुन विटामिन बी-6 और सी का भी एक अच्छा स्रोत है। विटामिन बी-6 कार्बोहाइड्रेट चयापचय में शामिल है। रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में विटामिन सी भी भूमिका निभा सकता है।

अत्यधिक सेवन से कई नुकसान 
-रक्तस्राव का खतरा
-लहसुन को प्राकृतिक रूप से खून को पतला करने वाला पदार्थ माना जाता है, इसलिए अगर इसका सेवन अधिक मात्रा में कर रहे हैं तो साथ में वार्फरिन, एस्पिरिन जैसी दवाएं न लें। क्योंकि, इससे आपका खून ज्यादा पतला हो सकता है और यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है।
-उल्टी व मतली का कारण
-नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ऑफ यूएस द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, खाली पेट लहसुन का सेवन करने से बहुत से लोगों को मतली, उल्टी और सीने में जलन जैसी समस्या हो सकती है। दरअसल, लहसुन में कुछ यौगिक होते हैं, जो एसिडिटी का कारण बन सकते हैं।
-लिवर के लिए खतरनाक
-कई अध्ययनों के अनुसार, लहसुन में एलिसिन नामक एक यौगिक होता है, जिसका अधिक मात्रा में सेवन करने से लिवर में विषाक्तता हो सकती है।
-गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को लहसुन खाने से बचना चाहिए। स्‍तनपान कराने वाली माताओं को भी अधिक मात्रा में लहसुन का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह दूध के स्वाद को बदल देता है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here