[ad_1]

दुनिया भर में कोरोना से जंग जारी है। भारत में वैक्सीनेशन ड्राइव चला कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाने की कोशिश की जा रही है ताकि इस संक्रमण से जंग को जीता जा सके। इस बीच भारत में कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों में एक गंभीर सिंड्रोम की शिकायत देखी गई है। एक स्टडी में कहा गया है कि कोविशील्ड लगवाने वाले कुछ लोगों में ‘गुलियन बेरी’ नाम का सिंड्रोम मिला है। 

यहां सबसे पहले आपको बता दें कि ‘गुलियन बेरी’ एक दुर्लभ बीमारी है। इसमें इम्यून सिस्टम, नर्व सिस्टम में मौजूद हेल्दी टिशूज पर असर पड़ता है। खास तौर से इस सिंड्रोम से ग्रसित लोगों के चेहरे की नसें कमजोर हो जाती है। अध्ययन के मुताबिक, भारत में वैक्सीन लेने के बाद इस बीमारी के सात मामले सामने आ चुके हैं। इन सातों लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी और उसके 10-22 दिन के बीच में इनमें गुलियन-बेरी सिंड्रोम के लक्षण देखने को मिले।

एनल्स ऑफ न्यूरोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, वैक्सीन लेने के बाद जिन लोगों को गुलियन-बेरी सिंड्रोम बीमारी हुई, उनके चेहरे के दोनों किनारे कमजोर होकर लटक गए थे, जबकि आमतौर पर इसके 20 फीसदी से भी कम मामलों में ऐसा देखने को मिलता है। शोधकर्ता इस बात से भी हैरान हैं कि इतने कम समय में ये बीमारी उम्मीद से कहीं ज्यादा तेज रफ्तार से फैली।

शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना की वैक्सीन महफूज है लेकिन इसके बाद सतर्क रहने की जरूरत है। अगर इस वैक्सीन को लेने के बाद सिंड्रोम के कोई भी लक्षण दिखें तो चिकित्सों से संपर्क जरुर करें। गुलियन बेरी सिंड्रोम में शरीर में कमजोरी, चेहरे की मांसपेशियां कमजोर होना, हाथ पैर में झुनझुनाहट होना और दिल की धड़कन अनियमित रहना लक्षण हैं। आपको बता दें कि देश में फिलहाल भारत बायोटेक निर्मित- कोवैक्सीन, ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रेजेनेका की कोविशील्ड और रूस की स्पूतनिक वी टीके की खुराक देने की अनुमति है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here