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उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में हुए ग्राम पंचायत की 88 सीटों में से 40 पर महिलाओं ने जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है। दो दिन पूर्व संपन्न हुए ग्राम पंचायत चुनाव में गौतमबुद्ध नगर में महिलाओं के लिए 30 फीसदी ग्राम पंचायतों में पद आरक्षित थे, लेकिन महिलाओं ने 44 फीसदी ग्राम पंचायतों पर कब्जा किया है।

जिले की करीब आधी पंचायतों में महिलाएं ग्राम प्रधान निर्वाचित हुई हैं। इनमें से 15 ग्राम प्रधान वे महिलाएं हैं जिनके प्रतिद्वंद्वी पुरुष थे। सबसे ज्यादा दादरी विकासखंड में 17 महिलाएं ग्राम प्रधान बनी हैं। बिसरख में 12 महिलाएं ग्राम प्रधान का चुनाव जीती हैं, जबकि जेवर क्षेत्र में 11 पंचायतों में महिलाओं ने अपना परचम लहराया है।

जिला सूचना अधिकारी राकेश चौहान ने मंगलवार को गौतमबुद्ध नगर की 88 विजयी ग्राम पंचायत प्रधानों की सूची जारी की। बिसरख प्रखंड में ग्राम पंचायतों की संख्या 24 है। 30 फीसदी आरक्षण की बदौलत आठ ग्राम पंचायतों में प्रधान पद महिलाओं के लिए आरक्षित थे। इन आठ ग्राम पंचायतों के अलावा बिसरख में चार ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहां महिलाओं ने पुरुषों को हराकर प्रधान पदों पर कब्जा किया।

बुलंदशहर हिंसा : इंस्पेक्टर सुबोध सिंह का हत्यारोपी योगेश राज जिला पंचायत सदस्य बना

दादरी प्रखंड में 30 ग्राम पंचायतें हैं जिनमें से 17 ग्राम पंचायतों पर महिलाओं का राज चलेगा। जिले के जेवर विकासखंड में सबसे ज्यादा 34 ग्राम पंचायत हैं, लेकिन दादरी और बिसरख की तुलना में यहां महिला ग्राम प्रधानों की संख्या कम रह गई है। जेवर में 11 ग्राम पंचायतें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं।

शिक्षा के लिहाज से गौतमबुद्ध नगर में जीते ग्राम प्रधानों में से केवल छह प्रधान ऐसे हैं जिन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की है, जबकि 11 प्रधान अशिक्षित हैं। 19 ग्राम प्रधानों को केवल प्राथमिक शिक्षा प्राप्त है और नौ प्रधान आठवीं तक पढ़े हैं। बाकी 48 फीसदी ग्राम प्रधान 10वीं और 12वीं पास हैं। जिले के गांवो का शहरीकरण होने की वजह से ग्राम पंचायतों की संख्या 243 से घटकर मात्र 88 रह गई है।

बुलंदशहर जिला पंचायत चुनाव में भाजपा के मात्र दस प्रत्याशी जीते

बुलंदशहर जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जिला पंचायत की 52 सीट में मात्र दस पर ही जीत मिली और पार्टी के कद्दावर नेता अपने परिवारजनों को भी विजय दिलाने में नाकाम रहे। जिले की सभी सात विधानसभा एवं दो लोकसभा के अलावा विधान परिषद की शिक्षक, स्नातक सीट पर भाजपा का कब्जा है। राज्यसभा में भी समाजवादी पार्टी से भाजापा में आए सुरेंद्र सिंह नागर का जिले से लेकर मंडल स्तर तक भाजपा का भारी भरकम संगठन है। इसके बावजूद त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के परिणाम भाजपा के मन के मुताबिक नहीं आए। पहली बार राजनीतिक दलों ने जिला पंचायत के सदस्य पद के लिए अपने समर्थित उम्मीदवारों की घोषणा की थी, बकायदा समर्थित उम्मीदवारों की सूची भाजपा, सपा ,बसपा, रालोद, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने जारी की थी, जबकि भाजपा के समर्थन से चुनाव लड़ने वालों की संख्या काफी अधिक थी।

एक वार्ड से कई-कई कार्यकर्ता टिकट मांग रहे थे, लेकिन संगठन ने समर्पित कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित करते हुए दल-बदल कर दूसरे दलों से भाजपा में आए कार्यकर्ताओं को और उनके जिले के कद्दावर नेताओं के परिजनों को चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। इसका परिणाम यह निकला कि इनमें से केवल 10 उम्मीदवार ही चुनाव जीत पाए। मजेदार बात यह रही कि जो 10 उम्मीदवार चुनाव जीते हैं उनमें से आठ महिलाएं हैं, भाजपा ने गौतमबुद्धनगर जिला पंचायत की अध्यक्ष रही पूर्व विधायक होराम सिंह की बेटी बाला देवी को वार्ड संख्या 26 से टिकट दिया था। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री संघप्रिय गौतम के पौत्र और पूर्व विधायक मुंशीलाल गौतम के बेटे वैभव गौतम को वार्ड संख्या 33 से और भाजपा अनुसूचित मोर्चा के केंद्रीय कार्यालय सचिव रहे श्याम लाल जाटव के बेटे संदीप श्याम जाटव को वार्ड संख्या 29 से टिकट दिया। विद्यार्थी परिषद के पूर्व प्रदेश मंत्री आलोक कुमार को वार्ड संख्या 52 से प्रत्याशी बनाया, लेकिन यह सभी चुनाव हार गए। एक-दो प्रत्याशियों को छोड़कर इनमें से कोई भी दूसरे नंबर पर भी नहीं आया, लेकिन भाजपा के दो बागी प्रत्याशी जीतने में सफल रहे हैं।  

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