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भारत और चीन ने 10वें दौर की सैन्य बातचीत के बाद रविवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र से सैन्य वापसी पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अन्य मुद्दों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष अपने नेताओं के बीच बनी सहमति, अपना संवाद और संपर्क जारी रखने, जमीन पर स्थिति को स्थिर और नियंत्रित करने तथा शेष मुद्दों का संतुलित और व्यवस्थित तरीके से समाधान करने पर भी सहमत हुए।

यह बयान दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 16 घंटे तक चली दसवें दौर की वार्ता के बाद आया है जो वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ मोल्दो बिंदु क्षेत्र में शनिवार को सुबह दस बजे शुरू हुई थी और रात दो बजे तक चली। बयान में कहा गया, ‘दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील क्षेत्र से अग्रिम पंक्ति के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया सुगमता से पूरी होने के बारे में एक-दूसरे को सकारात्मक रूप से अवगत कराया और उल्लेख किया कि यह पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अन्य मुद्दों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’

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इसमें कहा गया, ‘उन्होंने (दोनों पक्षों) पश्चिमी सेक्टर में एलएसी से जुड़े अन्य मुद्दों पर विचारों का व्यापक आदान-प्रदान किया। दोनों देशों द्वारा पैंगोंग झील क्षेत्र के उत्तरी और दक्षिणी छोर क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों और आयुधों को हटाए जाने के दो दिन बाद सैन्य स्तर की दसवें दौर की वार्ता हुई।

ऐसा माना जाता है कि वार्ता में भारत ने तनाव कम करने के लिए हॉट स्प्रिंग्स, गोग्रा और डेपसांग क्षेत्रों से सैनिकों की जल्द वापसी पर जोर दिया। सूत्रों ने शनिवार शाम कहा था कि क्षेत्र में तनाव कम करना वार्ता की शीर्ष प्राथमिकता है। भारत हमेशा जोर देकर कहता रहा है कि क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए तनातनी के सभी बिंदुओं से सैन्य वापसी आवश्यक है।

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दोनों देशों की सेनाओं के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र में पिछले साल पांच मई को हिंसक झड़प के बाद सैन्य गतिरोध उत्पन्न हो गया था। दोनों देशों ने तनाव के बीच हजारों सैनिकों और भारी अस्त्र-शस्त्रों की तैनाती कर दी थी। दोनों पक्षों के बीच लगातार कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ता भी होती रही।

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