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पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल के बाद अब चीन ने भारत को घेरने के मकसद से म्यांमार में भी अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को आगाह करते हुए यह बताया कि फरवरी माह में म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध झेल रहे म्यांमार में अब चीन ने घुसना शुरू कर दिया है और भारत को अब उभरती स्थिति पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। 

पूर्वोत्तर भारत में उपलब्धियों और चुनौतियों पर आयोजित एक वेबिनार में जनरल बिपिन रावत ने कहा, ‘म्यांमार पर प्रतिबंधों के बीच चीन की महत्वकांक्षी परियोजना BRI (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) को और बल मिलेगा।’ जनरल रावत ने यह भी कहा कि म्यांमार में सामान्य स्थिति वापस लौटना इस क्षेत्र के भविष्य के लिए बेहतर होगा क्योंकि म्यांमार से हमारे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध गहरे रूप से जुड़े हैं। 

उन्होंने कहा, ‘भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र जो कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर या ‘चिकन नेक’ द्वारा देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा हुआ है, का अत्यधिक भू-रणनीतिक महत्व है, विशेष रूप से तब जब चीन इस क्षेत्र में शरारती रूप से अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं।

अन्य इलाकों में रोहिंग्या शरणार्थियों की बढ़ती तादाद भी इस क्षेत्र में चिंता का विषय रहा है। जनरल बिपिन रावत ने यह भी कहा कि इसका इस्तेमाल कट्टरपंथी इस्लामी समूह इस क्षेत्र में अशांति फैलाने और सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर करने के लिए कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चीन के अलावा पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारत के लिए खुली सीमाओं की वजह से भी अवैध घुसपैठ, ड्रग तस्करी जैसी कई चिंताएं मौजूद हैं। 

पूर्वोत्तर में आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के गंभीर अंतरराष्ट्रीय आयाम को देखते हुए जनरल रावत ने कहा कि सुरक्षा से जुड़ी इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय राजनयिक-सैन्य सहयोग के साथ मुस्तैद और सतर्क केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बल काफी अहम होंगे। जनरल रावत ने यह भी कहा कि हाल के सालों में पूर्वोत्तर क्षेत्र में लगातार चलाए गए चरमपंथी विरोधी अभियानों की वजह से इस क्षेत्र में उग्रवादी गतिविधियां घटी हैं और साथ ही बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों में उग्रवादियों के सुरक्षित ठिकाने भी घटे हैं। 
 

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