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चीन ने कहा है कि वह आध्यात्मिक नेता और तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के साथ उनके भविष्य को लेकर बातचीत करने को तैयार है। लेकिन इस बातचीत में तिब्बत संबंधित कोई बातचीत नहीं होगी।

दलाई लामा ने 10 अक्टूबर को कहा है कि वह भारत में शांति से रहना पसंद करते हैं। उन्होंने भारत के तारीफ में कहा है कि देश में धार्मिक सद्भाव है। उन्होंने कहा है कि चीनी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिलने की कोई विशेष योजना नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा है कि वह वापस तिब्बत जाना चाहते हैं, अपने पुराने दोस्तों से मिलना चाहते हैं।

दलाई लामा ने शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल को लेकर किसी भी तरह के कमेंट करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा है कि चीनी कम्युनिस्ट नेता विभिन्न संस्कृतियों की विविधता को नहीं समझते हैं। वास्तविकता ये है कि बहुत ज्यादा कंट्रोल लोगों को नुकसान पहुंचाएगा।

मामले को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है कि बीजिंग तिब्बती आध्यात्मिक नेता के साथ बातचीत के लिए तैयार है। चीन 14वें दलाई लामा के साथ मसलों पर बातचीत को तैयार है। संवाद का रास्ता खुला हुआ है। तिब्बत के अलावा हम सभी मसलों पर बातचीत को तैयार हैं।

वांग ने आगे कहा है कि दलाई लामा को अलगाववादी गतिविधियों को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्हें चीनी लोगों का भरोसा जीतने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने निर्वासित तिब्बती सरकार को लेकर कहा है कि यह एक बाहरी अलगाववादी राजनीतिक समूह है। यह चीन के कानून और संविधान के खिलाफ है। यह एक अवैध संगठन है। दुनिया का कोई देश इस सरकार को मान्यता नहीं देता है।

बता दें कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर बवाल जारी है। चीन ने कहा है कि नए दलाई लामा का अनुमोदन चीनी सरकार करेगी लेकर तिब्बती लोगों ने चीन की इस बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि दलाई लामा ही अपने उत्तराधिकारी का चयन करेंगे।

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