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देश में नाबालिग बच्चियों के साथ होने वाली किसी भी तरह की घटनाओं में उनकी पहचान किसी भी रूप में उजागर करना कानूनन जुर्म है, लेकिन राजधानी के जिम्मेदार लोग यह गलती कर बैठे।
आपको बता दें कि, प्यारे मियां यौन शोषण पीड़िता नाबालिग के मामले में जांच संबंधी जानकारी देने के लिए कलेक्टर भोपाल ने एक बयान मीडिया सेल के माध्यम से जारी किया था। साथ ही यह बयान भोपाल कलेक्टर के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर भी अपलोड हो गया। इस बयान में बालिका का नाम भी सार्वजनिक कर दिया गया।
इसके बाद हंगामा मच गया, क्योंकि किशोर बाल अधिनियम 2015 की धारा 74 के अनुसार किसी भी बालिका का नाम या किसी भी तरह की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। इस मामले में जब कलेक्टर अविनाश लवानिया से बात की तो उन्होंने कहा कि नाम सार्वजनिक करने का सवाल ही नहीं उठाता। यह जानकारी जिस कर्मचारी ने भी अपलोड की, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बताया कि, बालिका का नाम फेसबुक पेज से नाम हटाने के निर्देश दे दिए गए हैं। कलेक्टर भोपाल ने मीडिया से बातचीत करके बताया कि, नाम उजागर करने वाली पोस्ट कलेक्टर भोपाल के ऑफिशियल पेज से हटा दी गई है।
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