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संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हो रहा है। विपक्ष ने कई मुद्दों पर सरकार को संसद के अंदर घेरने की योजना बनाई है तो संसद के बाहर भी इस सत्र के दौरान हंगामा देखने को मिल सकता है। दरअसल अभी तीन कृषि कानूनों को हटाने की मांग को लेकर किसानों का प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ है। इस बीच सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि वो पूरे मॉनसून सत्र के दौरान हर दिन विपक्षी पार्टियों को एक वार्निंग लेटर भेजेगा।

इस लेटर के जरिए संसद के अंदर बैठे विपक्षी पार्टियों के सदस्यों से कहा जाएगा कि वो संसद में किसानों की आवाज को उठाएं। संसद के अंदर के अलावा सरकार के खिलाफ संसद के बाहर मोर्चाबंदी करने का प्लान भी संयुक्त किसान मोर्चा ने बनाया है। इसके तहत अलग-अलग किसान संगठनों के 5 सदस्य संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक किसानों के मांग के समर्थन में संसद के बाहर करीब 200 किसान प्रदर्शन करेंगे। 

यहां आपको बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में 40 से ज्यादा किसान संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले पिछले साल नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। एसकेएम ने एक संवाददाता सम्मेलन में अभी हाल ही में बताया था कि मॉनसून सत्र शुरू होने के दो दिन पहले सदन के अंदर कानूनों का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी सांसदों को एक चेतावनी पत्र दिया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा इस पत्र के जरिए विपक्षी सांसदों से कहेगा कि वो संसद का बर्हिगमन कर केंद्र सरकार को लाभ ना पहुंचाएं, बल्कि संसद के अंदर बैठ कर किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरें। 

बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल तीन नये कृषि कानून संसद से पारित किए थे लेकिन इसके खिलाफ किसानों के आंदोलन के चलते इसका क्रियान्वयन स्थगित किया गया है। इस साल जनवरी में उच्चतम न्यायालय ने तीनों कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी थी और आंदोलनरत किसान संगठनों और सरकार के बीच गतिरोध को दूर करने के लिए एक समिति का गठन किया था। प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन अब तक इस मुद्दे का हल नहीं निकल सका है। 

इस बीच  मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के सुब्रमणियम ने कहा है कि नये कृषि कानूनों से किसानों को अंतत: बेहतर लाभ मिलेगा और उनकी कमाई बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इसका कारण इन अधिनियमों के तहत किसानों को अपनी उपज किसी को भी बेचने की आजादी दी गयी है। किसान अपनी उपज रिलायंस और आईटीसी जैसी कंपनियों को अच्छी कीमत पर बेचने को स्वतंत्र है, इसके जरिये प्रतिस्पर्धी महौल सृजित किया गया है। 
     
सुब्रमणियम ने कहा कि कृषि कानून छोटे एवं सीमांत किसानों की आय में सुधार की दिशा में कदम है। उन्होंने कहा कि कृषि कानून प्रतिस्पर्धा सृजित करता है। इसके तहत छोटे और सीमांत किसान मध्यस्थ के पास जा सकते हैं और कह सकते हैं कि यदि आप अच्छी कीमत नहीं देंगे, तो मैं इसे किसी और को बेच सकता हूं। 

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