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केंद्र सरकार की बजट 2021 में यूनिट लिंक्‍ड इंश्‍योरेंस प्‍लान यानी यूलिप पर टैक्स व्यवस्था पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने नए सिरे से सफाई दी है। विभाग का कहना है कि पहले की अस्पष्टताओं को दूर करने के लिए ये नया नोटिफिकेशन जारी किया गया है। ताकि करदाताओं को इस व्यवस्था की व्यापक जानकारी मिल सके।

मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक, ये नियम फाइनेंस एक्ट 2021 के तहत लाए गए हैं। इन नियमों को आसान भाषा में बताने के लिए सीबीडीटी की तरफ से इस पर नोटिफिकेशन जारी किया गया है। ये नए नियम बिल्कुल भी नहीं हैं। फाइनेंस एक्ट 2021 के तहत इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 10 (10डी) में संशोधन किया गया है। इसके बाद 1 फरवरी या उसके बाद अगर यूलिप में सालाना निवेश 2.5 लाख रुपए से अधिक है तो रिटर्न पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी। विभाग के मुताबिक, ये व्यवस्था म्युचुअल फंड और यूलिप निवेश के बीच समानता लाने के लिए की गई है। फाइनेंस एक्ट में हुए बदलााव में ये भी साफ किया गया है कि अगर किसी की एक से ज्यादा पॉलिसी हैं तो वित्तीय वर्ष में कुल प्रीमियम 2.5 लाख की सीमा में ही रहेगा।

दरअसल, निवेशकों में यूलिप को लेकर खास तरह का आकर्षण होता है क्योंकि यह निवेशक को बीमा और निवेश दोनों का फायदा देता है। टैक्स बचाने के लिए भी बड़ी तादाद में लोग इसमें निवेश करते हैं। यूलिप एक तरह का लाइफ इंश्‍योरेंस प्रोडक्‍ट है। इसमें ग्राहकों द्वारा यूलिप में लगाया गया पैसा स्‍टॉक्‍स, बॉन्‍ड्स जैसी संपत्तियों में निवेश किया जाता है। इसका एक हिस्‍सा बीमा कराने वाले व्यक्ति को लाइफ कवर प्रदान करन के लिए भी होता है।

अब नए नियमों के तहत टैक्स छूट के लिए नए और पुराने दोनों यूलिप के कुल प्रीमियम को जोड़कर टैक्स में छूट पर विचार किया जाएगा। किसी भी हालत में अगर सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपए से अधिक है तो इससे ऊपर वाले निवेश पर छूट का फायदा नहीं मिलेगा। साथ ही इससे होने वाली आय पर कैपिटल गेन्स टैक्स लागू होगा।

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