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‘हिजाब और भगवा पर मत लड़ो। जब हम ऐसी चीजें देखते हैं, तो हमें दुख होता है।’ यह अंतिम संदेश कश्मीर हिमस्खलन में बुधवार को शहीद हवलदार अल्ताफ अहमद का है। जान गंवाने से पहले 37 वर्षीय अल्ताफ के मोबाइल से भेजे गए इस आखिरी वॉयस मैसेज को उनके साथी जवानों ने शुक्रवार को मीडिया के साथ साझा किया।

सैनिक के दोस्तों द्वारा मीडिया के साथ साझा किए गए वॉयस नोट में अल्ताफ देशवासियों से अपने मतभेदों को दूर करने की अपील कर रहे हैं। अल्ताफ कहते हैं, ‘ठीक रहें। धर्म और जाति के नाम पर नहीं लड़ें। हमारे सैनिक यहां (कश्मीर) में सेवा करते हुए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं, ताकि आप स्वस्थ और सुरक्षित रहें। राष्ट्र के बारे में सोचें और अपने बच्चों को भी ऐसा करने के लिए सिखाएं।

अल्ताफ वॉयस नोट में आगे कहते हैं, ‘हिजाब और भगवा पर मत लड़ो। जब हम ऐसी चीजें देखते हैं तो हमें दुख होता है। यहां अपना कर्तव्य निभाते हुए हम मानते हैं कि देश के लोग अच्छे हैं। साथ ही मानते हैं कि हम सभी भारत मां के बच्चे हैं। हमारे बलिदानों को जाया मत करो, प्लीज। जब हम ऐसी चीजों (हिजाब विवाद) के बारे में सुनते हैं, तो हमें बुरा लगता है, क्योंकि सीमा पर हमारी आंखों के सामने कई लोग अपनी जान न्योछावर कर रहे हैं।

केरल में रह रहा है शहीद का परिवार

आर्मी ऑर्डिनेंस कोर का हिस्सा रहे कोडागु निवासी अल्ताफ कश्मीर में तैनात थे। वह अपने पीछे मां, पत्नी, एक बेटा और एक बेटी छोड़ गए हैं। अल्ताफ की पत्नी जुबेरी 10 साल से केरल के मटनूर जिले में रह रही हैं। वह मूल रूप से विराजपेट के यादपाला की हैं। मीनुपेटे में पले-बढ़े अल्ताफ ने विराजपेट के सेंट ऐनी स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद विराजपेट गवर्नमेंट जूनियर कॉलेज से पढ़ाई पूरी की। फिर, सेना ऑर्डिनेंस कोर रेजिमेंट में शामिल हो गए। वह इसमें 19 वर्षों से कार्यरत थे।

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