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यूपी सरकार जल जीवन मिशन की योजनाओं को रफ्तार देने के लिए 3000 से ज्यादा लोगों की तैनाती करेगी। यह लोग नए बनने जा रहे निदेशालय में रखे जाएंगे। इसमें अधिकारियों, कर्मचारियों के 3130 के पदों पर नियुक्ति आउटसोर्स से होगी। 359 पद तीन साल के अनुबंध से भरे जाएंगे। इसके अलावा 572 पद प्रतिनियुक्ति से भरे जाएंगे।

नवगठित नमामि गंगे व ग्रामीण जलापूर्ति निदेशालय में मुख्यालय, मंडल व जिला स्तर पर प्रशासनिक अमले की तैनाती की जाएगी। इस निदेशालय को बनाने की सैद्धांतिक अनुमति पिछले साल सितंबर में दी गई। असल में जल निगम के पास पर्याप्त तकनीकी मानव संसाधन उपलब्ध नहीं है। जल निगम ने जल मिशन की योजनाओं में तकनीकी काम राज्य सरकार से मिलने वाली सेंटेज की 12.5 % धनराशि के जरिए समय से करने में असमर्थता जताई। जबकि केंद्र सरकार ने जल मिशन की योजनाओं को समय से पूरा करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। इस कारण नया निदेशालय बना कर नया प्रशासनिक तंत्र खड़ा कर इस काम को तेजी से पूरा करने का निर्णय लिया गया है। सेंटेज के रूप में खर्च बचाने के लिए नियमित नियुक्ति के बजाए संविदा व आउटसोर्स का सहारा लिया जाएगा। तकनीकी पदों में 30 प्रतिशत पद सेवा स्थानांतरण व प्रतिनियुक्ति से भरे जाएंगे। तकनीकी पदों में परियोजना प्रबंधक के 58 पद आउटसोर्सिंग से भरे जाएंगे।

यह काम करना होगा-
जल गुणवत्ता जांचने के लिए सभी जल प्रयोगशालाएं इस निदेशालय के तहत काम करेंगी। अभी तक जांच काम अन्य संस्था के द्वारा होता था। 129 प्रयोगशालाओं का नेशनल एक्रिडिएशन बोर्ड फार टेस्टिंग एंड केलीब्रेशन से एक्रीडिएशन कराया जा सकेगा।

लाभ-
कार्मिकों की कमी दूर होने से जेई व एईएस व खराब जल गुणवत्ता वाले जिलों में पाइप पेयजल योजना समय से लागू की जा सकेगी। जल जीवन मिशन की अन्य योजनाएं प्रभावी तरीके से लागू होंगी। बुंदेलखंड व विन्ध्य क्षेत्र में 15,707 करोड़ रुपये की योजना लागू करने में तेजी आएगी। आने वाले बजट में इस नए निदेशालय के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था होगी।

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