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तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अभी जारी है। इस बीच किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान 8 महीने से यह आंदोलन सरकार का आदेश पालन करने के लिए नहीं कर रहे हैं। मीडिया से बातचीत में किसान नेता ने कहा कि ‘अभी तक कृषि कानून वापस नहीं लिए गए और वो हमें प्रदर्शन खत्म करने के लिए कह रहे हैं। किसान पिछले 8 महीने से सरकार का आदेश पालन करने के लिए आंदोलन नहीं कर रहे हैं। अगर वो बातचीत करना चाहते हैं तो कर सकते हैं। लेकिन उन्हें कोई शर्त लागू नहीं करना चाहिए।’

आपको बता दें कि इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को प्रदर्शनकारी किसानों से उनका आंदोलन खत्म करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि ‘मैं आंदोलन कर रहे किसानों से अपील करना चाहता हूं कि अपना प्रदर्शन खत्म करें और बातचीत करें। सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है।’ कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि उपज मंडी समितियां (एपीएमसी) और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद प्रणाली बनी रहेगी तथा इसे और मजबूत किया जाएगा। तोमर का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब किसान संगठनों ने संसद के मानसून सत्र के दौरान अपना विरोध तेज करने का फैसला किया है। 

कृषि मंत्री ने आगे कहा है कि ‘ऐसी आशंका थी कि एमएसपी को खत्म कर दिया जाएगा। हालांकि, जब से किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है, तब से खाद्यान्न के साथ-साथ दलहन और तिलहन की खरीद बढ़ गई है। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार के निरंतर प्रयासों का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाकर उन्हें समृद्ध बनाना है।’ तोमर ने कहा कि ‘कृषि कानून इस दिशा में एक बड़ा कदम है। मेरा मानना है कि किसान संगठनों को समय रहते उनके लाभों को समझना चाहिए। पूरा देश इन कानूनों के लाभ को समझ रहा है।’

मंत्री ने कहा कि उन्होंने विरोध कर रहे किसान संगठनों से कई बार कहा है कि सरकार कानूनों को निरस्त करने के बजाय अन्य प्रस्तावों पर चर्चा के लिए तैयार है।उन्होंने कहा है कि ‘जहां तक किसानों के विरोध का सवाल है, हमने हमेशा संवेदनशीलता दिखाई है। मोदी सरकार ने किसानों का हमेशा सम्मान किया है।’ तोमर ने साफ किया कि एपीएमसी पर कैबिनेट के फैसले के बाद किसान संगठनों को यह भरोसा करना चाहिए कि एपीएमसी खत्म नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि कानूनों में (एपीएमसी को समाप्त करने के लिए) ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। एपीएमसी राज्य के कानूनों के तहत स्थापित हैं। 

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