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अफगानिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में कहा है कि तालिबान के क्रूर हमलों की वजह से वहां स्थिति बेहद खराब होती जा रही है। यूएन में अफगानिस्तान के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि गुलाम एम इसाज़ेई ने कहा कि तालिबान और उसकी क्रूर सेना ने हाल के दिनों में अहम शहरों पर क्रूर हिंसक हमले किये हैं जिसकी वजह से हालात काफी बिगड़ते जा रहे हैं। अफगानी राजदूत ने कहा कि तालिबान ने क्रूर हमले किये हैं जिसकी वजह से मौतें, तबाही और अस्थिरता अफगानिस्तान में काफी बढ़ गई हैं। 

अफगानिस्तान की तरफ से यूएनएससी में यह भी कहा गया है कि इस बर्बरता में तालिबान अकेला नहीं है। कई विदेशी लड़ाकू भी उनकी मदद कर रहे हैं। अपनी बात रखते हुए अफगानी राजदूत ने पाकिस्तान का नाम लिये बगैर उसपर हमला बोला। अफगानी राजदूत ने कहा कि यह लड़ाकू विदेशों में फैले आतंकी नेटवर्क का हिस्सा हैं। आज यह सब एक साथ मिलकर अफगानिस्तान की शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरा बन चुके हैं। यह हमारे क्षेत्र के लिए भी सबसे बड़ा खतरा बन चुके हैं। बिना लिए पाकिस्तान पर बरसते हुए स्थायी प्रतिनिधि गुलाम एम इसाज़ेई ने यूएनएससी में कहा कि मध्य अप्रैल से तालिबान और उसके विदेशी सहयोगियों ने मिलकर 31 प्रक्षेत्रों में 5,500 हमले किये हैं। तालिबान को 20 संगठनों के 10,000 से ज्यादा विदेशी आतंकवादी मदद कर रहे हैं। इसमें अलकायदा, लश्कर-ए-तैय्यबा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, समेत कई अन्य आतंकवादी संगठन शामिल हैं।

आपको बता दें कि इसस पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने कहा कि वह अफगानिस्तान में इस्लामी अमीरात की बहाली का समर्थन नहीं करता है और साथ ही उसने तालिबान द्वारा सैन्य हमले तेज करने के बाद युद्धग्रस्त देश में बढ़ी हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की।इस समय यूएनएससी की अगुवाई भारत कर रहा है। परिषद ने अफगानिस्तान के हेरात में संयुक्त राष्ट्र के खिलाफ पिछले सप्ताह हुए हमले की कड़े शब्दों में निंदा भी की।

परिषद के अध्यक्ष एवं संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरूमूर्ति की ओर से अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा पर जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने पुष्टि की कि संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है और घोषणा की कि वे इस्लामी अमीरात की बहाली का समर्थन नहीं करते हैं। सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इस्लामी गणराज्य और तालिबान दोनों से एक शांति प्रक्रिया में सार्थक रूप से शामिल होने का आह्वान किया ताकि राजनीतिक समाधान और युद्धविराम की दिशा में तत्काल प्रगति हो पाए। 

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